dastane-a jindgi
Thursday 22 May 2014
Friday 13 December 2013
मेरा जन्म
मेरे होने की किसी ने न मांगी थी दुआ
न मेरे होने पर किसी को हर्ष हुआ।
न किसी ने खुशी से थाली बजाई
और न रिश्तेदारो में बांटीं गई मिठाई।
दाई ने भी मुझको सौंपा बिना नेग के
जैसे वो शर्मिंदा है मुझे दुनिया में लाके।
हर नज़र मेरी माँ की तसल्ली दे रही थी
पास ही लेटी मैं जाने क्यों मसकुरा रही थी।
इस मुसकुराहट पर भी किसी को प्यार न आया
नजरें झुका सबने मुझ से अपना दामन छुड़ाया ।
न मेरे होने पर किसी को हर्ष हुआ।
न किसी ने खुशी से थाली बजाई
और न रिश्तेदारो में बांटीं गई मिठाई।
दाई ने भी मुझको सौंपा बिना नेग के
जैसे वो शर्मिंदा है मुझे दुनिया में लाके।
हर नज़र मेरी माँ की तसल्ली दे रही थी
पास ही लेटी मैं जाने क्यों मसकुरा रही थी।
इस मुसकुराहट पर भी किसी को प्यार न आया
नजरें झुका सबने मुझ से अपना दामन छुड़ाया ।
मेरी कहानी
क्या लिखूँ अपने बारे में अजब एक कहानी है
जिंदगी तो मेरी है, पर चलती किस्मत की मनमानी है ।
मेरी हर खुशी को इसने मुझसे छीना है,
क्यों फिर भी मुझे मुसकुरा कर जीना है।
जिंदगी तो मेरी है, पर चलती किस्मत की मनमानी है ।
मेरी हर खुशी को इसने मुझसे छीना है,
क्यों फिर भी मुझे मुसकुरा कर जीना है।
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